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अमृत कुम्भ-2013, पृष्ठ – 19 से 25

AMRIT KUMBH - 2013
AMRIT KUMBH - 2013
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स्वर्णयुग का आरम्भ का विभिन्न भविष्यवाणीयाँ आधार

विश्व में अनेक भविष्यवक्ताओं ने समय-समय पर हजारों भविष्यवाणीयाँ की हैं जिसमें से अधिकतम प्रभावी संतो, ज्योतिषियों, स्वप्नदर्शियों, पैगम्बरों व मनोवैज्ञानियों की भविष्यवाणीयाँ गलत सिद्ध हुयी हैं। इसके पीछे उनकी इच्छा प्रसिद्धि पाने व धन लाभ की रही है। इन भविष्यवक्ताओं कीे भविष्यवाणी इस प्रकार हैं-
भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियाँ निम्नलिखित हैं-
1. प्रसिद्ध भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस के अनुसार – फ्रांस देश के नास्त्रेदमस नामक प्रसिद्ध भविष्यवक्ता ने सन् 1555 में एक हजार श्लोकों में विश्व के भविष्य की सांकेतिक भविष्यवाणीयाँ फ्रेंच भाषा में लिखी हैं। सौ-सौ श्लोकों के दस शतक बनाये गये हैं जिन्हें ”सेन्चुरी ग्रन्थ“ कहा जाता है। नास्त्रेदमस की अधिकतम भविष्यवाणीयाँ अब तक सत्य सिद्ध हुई है। ”सेन्चुरी ग्रन्थ“ को पाल ब्रन्टन नामक अंग्रेज ने फ्रांस में कुछ वर्ष रहकर समझा व उसे अंग्रेजी में अनुवाद किया। इसी ”सेन्चुरी ग्रन्थ“ को महाराष्ट्र के ज्योतिषाचार्य डाॅ0 रामचन्द्र जोशी द्वारा भी मराठी भाषा में लिखा गया है। इस पुस्तक का नाम ”21 व्या शतकाकडे झेपावतांना जगातील सर्वश्रेष्ठ भविष्यवेत्ता मायकल द नाॅत्रदेम (नाॅस्ट्राडेमस) यांचे जागतिक स्तरावरचे भविष्य“ है। जिसे 1. जोशी ब्रदर्स, अप्पा बलवंत चैक, पुणे, महाराष्ट्र, 2. श्री गजानन बुक डिपो, भरत नाट्य मंदिरासमार, पुणे, महाराष्ट्र, 3. श्री गजानन बुक डिपो, कबुतरखाना, दादर, मुम्बई, महाराष्ट्र, 4. श्री गजानन बुक डिपो, बिल्डिंग नम्बर-132, पहला माला, पंतनगर, घाटकोपर, मुम्बई, महाराष्ट्र से प्राप्त किया जा सकता है।
इस पुस्तक के पृष्ठ-32 और 33 पर लिखा है- ”ठहरो स्वर्णयुग (रामराज्य) आ रहा है। एक अधेड़ उम्र का औदार्य (उदार) अजोड़ महासत्ता अधिकारी भारत ही नहीं सारी पृथ्वी पर स्वर्णयुग लायेगा और अपने सनातन धर्म का पुनरूत्थान करके यथार्थ भक्ति मार्ग बताकर सर्वश्रेष्ठ हिन्दू राष्ट्र बनायेगा। तत्पश्चात् ब्रह्मदेश पाकिस्तान, बांगला, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, अफगानिस्तान, मलाया आदि देश में वही सार्वभौम धार्मिक नेता होगा। सत्ताधारी चांडाल चैकड़ियों पर उसकी सत्ता होगी वह नेता सायरन (तत्वदर्शी संत) दुनिया की अधाप मालूम होना है, बस देखते रहो।“
पृष्ठ-40 पर लिखा है- ”ठहरो रामराज्य (स्वर्णयुग) आ रहा है। जून, 1999 से 2006 तक चलने वाली उत्क्रान्ति में स्वर्णयुग का उत्थान होगा। हिन्दुस्तान में उदयन होने वाला तारणहार शायरन दुनिया में सुख, समृद्धि व शान्ति प्रदान करेगा। नास्त्रेदमस जी ने निःसन्देह कहा है कि प्रकट होने वाला शायरन अभी ज्ञात नहीं है लेकिन वह क्रिश्चियन अथवा मुसलमान हरगिज नहीं है। वह हिन्दू ही होगा और मैं नास्त्रेदमस उसका अभी छाती ठोक कर गर्व करता हूँ क्योंकि उस दिव्य स्वतंत्र सूर्य शायरन का उदय होते ही सारे पहले वाले विद्वान कहलाने वाले महान नेताओं को निष्प्रभ होकर उसके सामने नम्र बनना पड़ेगा। वह हिन्दुस्तानी महान तत्वद्रष्टा संत सभी को अभूतपूर्व राज्य प्रदान करेगा। वह समान कायदा, समान नियम बनाएगा, स्त्री-पुरूष में, अमीर-गरीब में, जाति और धर्म में कोई भेद-भाव नहीं रखेगा, किसी पर अन्याय नहीं होने देगा। उस तत्वदर्शी संत का सर्व जनता विशेष सम्मान करेगी। माता-पिता तो आदरणीय होते ही हैं परन्तु आध्यात्मिकता व पवित्रता के आधार पर उस शायरन का माता-पिता से भी अलग श्रद्धा स्थान होगा।“ नास्त्रेदमस स्वयं ज्यू वंश का था तथा फ्रांस देश का नागरिक था। उसने क्रिश्चियन धर्म स्वीकार कर रखा था, फिर भी नास्त्रेदमस ने निःसन्देह कहा है कि प्रकट होने वाला शायरन केवल हिन्दू ही होगा।
पृष्ठ-41 पर लिखा है- ”सभी को समान कायदा, नियम, अनुशासन पालन करवा कर सत्य पथ पर लायेगा। मैं नास्त्रेदमस एक बात निर्विवाद सिद्ध करता हूँ कि वह शायरन नया ज्ञान आविष्कार करेगा। वह सत्य मार्ग दर्शन करवाने वाला तारणहार एशिया खण्ड में जिस देश का नाम महासागर (हिन्द महासागर) है। उसी नाम वाले हिन्दुस्तान देश में जन्म लेगा। वह ना क्रिश्चियन, ना मुसलमान, ना ज्यू होगा, वह निःसन्देह हिन्दू होगा। अन्य भूतपूर्व धार्मिक नेताओं से महतर बुद्धिमान होगा और अजिंकय होगा। (शतक 6 श्लोक 70) उस से सभी प्रेम करेगें। उसका बोलबाला रहेगा। उसका भय भी रहेगा। कोई भी अपकृत्य करना नहीं सोचेगा। उसका नाम व कीर्ति त्रिखण्ड में गुंजेगी अर्थात आसमानो के पार उसकी महिमा का बोल-बाला होगा। अब तक अज्ञान निद्रा में गाढ़े सोये हुये समाज को तत्व ज्ञान की रोशनी से जगायेगा। सर्व मानव समाज हड़बड़ाकर जागेगा। उसके तत्व ज्ञान के आधार से भक्ति साधना करेगा। सर्व समाज से सत्य साधना करवायेगा।“
पृष्ठ-42 और 43 पर लिखा है- ”वह हिंसक क्रूरचन्द्र (महाकाल) कौन है, कहाँ है, यह बात शायरन ही बताएगा। उस क्रूरचन्द्र से वह शायरन ही मुक्त करवायेगा। शायरन के कारकिर्द में इस भूतल की पवित्र भूमि पर (हिन्दुस्तान में ) स्वर्णयुग का अवतरण होगा, फिर वह पूरे विश्व में फैलेगा। उस विश्व नेता व उसके सद्गुणों की, उसके बाद भी महिमा गायी जायेगी। उसके मन की शालीनता, विनम्रता, उदारता का इतना रेल-पेल बोलबाला होगा। शायरन अपने बारे में बस तीन ही शब्द बोलता है- एक विजयी ज्ञाता। इसके साथ और विशेषण न चिपकायें मुझे मंजूर नहीं होगा। (शतक 6 श्लोक 71) हिन्दू शायरन अपने ज्ञान से दैदिप्यमान उतुंग ऊँचा स्वरूप का विधान (तत्वज्ञान) फिर से बिना शर्त उजागर करवायेगा और मानवी संस्कृति निर्धोक संवारेगा, इसमें सन्देह नहीं। अभी किसी को मालूम नहीं, लेकिन अपने समय पर जैसे नरसिंह अचानक प्रकट हुआ था ऐसे ही वह विश्व महान नेता अपने तर्क शुद्ध, अचूक आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति तेज से विख्यात होगा। मैं नास्त्रेदमस अचम्भित हूँ। मैं ना उसके देश को तथा ना उसको जानता हूँ, मैं उसे सामने देख भी रहा हूँ, उसकी महिमा का शब्द बद्ध में कोई मिसाल नहीं कर सकता। बस उसे महान धार्मिक नेता कहता हूँ। अपने धर्म बन्धुओं की सद्दकालीन समस्या से दयनीय अवस्था से बैचेन होता हुआ स्वतन्त्र ज्ञान सूर्य का उदय करता हुआ अपने भक्ति तेज से जग का तारणहार 5वें शतक (20वीं सदी) के अन्त में अधेड़ उम्र का विश्व का महान नेता जैसे तेजस्वी सिंह मानव उदिग्न अवस्था से चैखट लाँघता हुआ मेरे (नास्त्रेदमस के) मन का भेद ले रहा है और मैं उसका स्वागत करता हुआ आश्चर्य चकित हो रहा हूँ। उदास भी हो रहा हूँ क्योंकि उसके होने का दुनिया को ज्ञान न होने से मेरा शायरन उपेक्षा का पात्र बन रहा है। मेरी (नास्त्रेदमस की) चित्तभेदक भविष्यवाणी की और उस वैश्विक सिंह मानव की उपेक्षा ना करें। उसके प्रकट होने पर तथा उसके तेजस्वी तत्वज्ञान रूपी सूर्य उदय होने से आदर्शवादी श्रेष्ठ व्यक्तियों का पुर्नउत्थान तथा स्वर्णयुग का प्रभात आज ईसवी सन् 1555 से 450 वर्ष अर्थात सन् 2005 के बाद से शुरूआत होगी। इस कृतार्थ शुरूआात का मैं (नास्त्रेदमस) दृष्टा हो रहा हूँ।“
पृष्ठ-44, 45 और 46 पर लिखा है-”तीन ओर से सागर से घिरे द्वीप (हिन्दुस्तान देश) में उस महान संत का जन्म होगा, उस समय तत्व ज्ञान के अभाव से अज्ञान अँधेरा होगा। नैतिकता का पतन होकर हाहाकार मचा होगा। वह शायरन अपने धर्म बल अर्थात भक्ति की शक्ति से तथा तत्व ज्ञान द्वारा सर्व राष्ट्र को नतमस्तक करेगा। एशिया में उसे रोकना अर्थात उसके प्रचार में बाधा करना पागलपन होगा। (शतक 1 श्लोक 50) वह अधेड़ उम्र में तत्व ज्ञान का ज्ञाता तथा ज्ञेय होकर त्रिखण्ड में कीर्तिमान होगा। मुझ (नास्त्रेदमस) को उसका नया उपाय साधना मंत्र ऐसा जालिम मालूम हो रहा है जैसे सर्प को वश करने वाला गारडू मंत्र से महाविषैले सर्प को वश कर लेता है। वह नया उपाय, नया कायदा बनाने वाला तत्ववेक्ता दुनिया के सामने उजागर होगा। उसके ज्ञान के दिव्य तेज के प्रभाव से उस द्वीपकल्प भारत मंे अक्रामक तूफान व खलबली मचेगी अर्थात अज्ञानी संतो द्वारा विद्रोह किया जायेगा। वह शायरन उदार मत वाला, कृपालु, दयालु, दैदिप्यमान, सनातन साम्राज्य अधिकारी, आदि सत्यपुरूष का अनुयायी होगा। उसकी सत्ता सार्वभौम होगी। उसकी महिमा, उपाय, गुरू श्रद्धा, गुरू भक्ति, तत्व ज्ञान का सत्संग करके प्रथम अज्ञान निद्रा में सोये अपने धर्म बंधुओं (हिन्दुओं) को जागृत करके, अंधविश्वास के आधार पर साधना कर रहे श्रद्धालुओं को शास्त्रविधि रहित साधना का बुरका फाड़कर गूढ़ गहरे तत्वज्ञान का प्रकाश करेगा। अपने सनातन धर्म का पालन करवा कर समृद्ध शान्ति का अधिकारी बनाएगा। तत्पश्चात् उसका तत्वज्ञान सम्पूर्ण विश्व में फैलेगा। उसके ज्ञान की बराबरी कोई भी नहीं कर सकेगा। इसलिए मैं (नास्त्रेदमस) वैश्विक सिंह महामानव इतना महान होगा कि मैं उसकी महिमा को शब्दों में नहीं बाँध पाउँगा। मैं उस ग्रेट शायरन को देख रहा हूँ।“
पृष्ठ-46 और 47 पर लिखा है-”नास्त्रेदमस कहता है कि निःसन्देह विश्व में श्रेष्ठ तत्वज्ञाता के विषय में मेरी भविष्यवाणी के शब्दा-शब्द को किसी नेताओं पर जोड़ कर तर्क-वितर्क करके देखेगें तो कोई भी खरा नहीं उतरेगा। मैं छाती ठोककर कह रहा हूँ कि मेरा शायरन का कृतत्व और उसका गहरा तत्वज्ञान ही सर्व की खाल उतारेगा। इस विधान का एक-एक शब्द का खरा-खरा समर्थन शायरन ही देगा।
पृष्ठ-52 पर लिखा है-”नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी में कहा है कि 21वीं सदी के प्रारम्भ में दुनिया के क्षितिज पर शायरन का उदय होगा। जो भी बदलाव होगा वह मेरी (नास्त्रेदमस) इच्छा से नहीं बल्कि शायरन की आज्ञा से नियति की इच्छा से सारा बदलाव होगा ही होगा। उस में से नया बदलाव मतलब हिन्दुस्तान सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र होगा। कई सदियों से ना देखा ऐसा हिन्दुओं का सुख साम्राज्य दृष्टिगोचर होगा। उस देश में पैदा हुआ धार्मिक संत ही तत्वदृष्टा तथा जग का तारणहार जगज्जेता होगा। एशिया खण्डों में रामायण, महाभारत आदि का ज्ञान जो हिन्दुओं में प्रचलित है, उससे भी भिन्न आगे का ज्ञान उस तत्वदर्शी संत का होगा। वह सत्पुरूष का अनुयायी होगा, वह एक अद्वितीय संत होगा।
पृष्ठ-74 पर लिखा है-”़बहुत सारे संत नेता आएगें और जाएगें, सर्व परमात्मा के द्रोही तथा अभिमानी होगें। मुझे (नास्त्रेदमस को) आंतरिक साक्षात्कार उस शायरन का हुआ है। हिन्दुस्तान का हिन्दू संत आगामी अंधकारी, प्रलयकारी, धुंधुकारी जगत को नया प्रकाश देने वाला सर्वश्रेष्ठ जगज्जेता धार्मिक विश्व नेता की अपनी उदासी के सिवा कोई अभिलाषा नहीं होगी। ना अभिमान होगा, यह मेरी भविष्यवाणी की गौरव की बात होगी कि वास्तव में वह तत्वदर्शी संत संसार में अवश्य प्रसिद्ध होगा। उसके द्वारा बताया ज्ञान सदियों तक छाया रहेगा। वह संत आधुनिक वैज्ञानिकों की आँखें चकाचैंध करेगा। उसका सर्वज्ञान शास्त्र प्रमाणित होगा। मैं कहता हूँ कि बुद्धिवादी व्यक्ति उसकी उपेक्षा न करें। उसे छोटा ज्ञानदीप न समझंे, उस तत्ववेता महामानव को सिंहासनस्थ करके उसको आराध्य देव मानकर पूजा करें। वह आदि पुरूष का अनुयायी दुनिया का तारणहार होगा।
2. स्वामी शिवानन्द के अनुसार- आज विश्व में जो भी घटनाएं घटित हो रही हैं वह शास्त्रानुार पहले से ही सुनिश्चित है। भविष्य पुराण में भगवान वेद व्यास जी ने स्वयं भविष्यवाणी की है कि 4,900 शताब्दि कलियुग बीतने के पश्चात् भारत में बौद्धों का राज्य होगा, तदन्तर आद्य शंकराचार्य जी का प्रादुर्भाव के साथ ही वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार होगा और मनुस्मृति के आधार पर राजा राज्य करेंगें। पुनः 300 वर्षो तक भवनों तथा 200 वर्ष तक ईसाईयों का राज्य रहेगा। उसके बाद मौन (मत पत्रों) का राज्य रहेगा, जो 11 टोपी (राष्ट्रपति) तक चलेगा। यह क्रम लगभग 50 वर्ष तक चलेगा। इसके बाद से किसी भी पार्टी को बहुमत प्राप्त नहीं हो सकेगा। मँहगाई-भ्रष्टाचार बढ़ेगें। माता-पिता, साधु-सन्त, ब्राह्मण-विद्वान अपमानित होगें, तब भयानक युद्ध होगा। भारत पुनः अपने अस्तित्व में आकर विश्व गुरू पद पर स्थापित होगा। भारत में शास्त्रानुसार पुनः राज्य परम्परा की स्थापना होगी। (राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र, वाराणसी, 8 सितम्बर, 1998)
3. तीसरी सहस्त्राब्दी के प्रारम्भ में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रसिद्ध ज्योतिषि श्री बेजन दारूवाला द्वारा की गयी भविष्यवाणी जो अमर उजाला समाचार पत्र, भारत के रविवासरीय अंक में 31 दिसम्बर, 2000 को प्रकाशित हुई थी। निम्न प्रकार है-
टेक्नोलाॅजी के पूरी तरह छीज जाने का तीसरा अंतिम दौर आएगा अप्रैल 2011 में, जब नेप्च्यून टेक्नोलाॅजी की राशि कुभ राशि को छोड़ेगा और 5 अप्रैल 2011 से मानवता और आध्यात्मिकता की राशि में प्रवेश करेगा। जाहिर है इसका मतलब यह नहीं होगा कि टेक्नोलाॅजी और खासकर कम्प्यूटर कहीं फेंक दिये जायेगें और हम उन्हें इस्तेमाल करना बन्द कर देगें। निश्चय ही इसका मतलब यह होगा कि हम टेक्नोलाॅजी की ताकत का इस्तेमाल जनता के हित में करना सीख लेगें। टेक्नोलाॅजी अपना महत्व और अपनी सर्वोच्च हैसियत तीन दौरों में खो देगी। 1. 2003 के अंत में, 2. 2008 के अंत में 3. अप्रैल 2011 के बाद। जीवन-जन्म-पुर्नजीवन का अन्तिम रहस्य 6 अक्टुबर 2012 और 23 दिसम्बर 2014 के बीच खुलेगा। मस्तिष्क के कामकाज इसकी कार्यप्रणाली, शक्ति व जटिलता के रहस्यों की छानबीन 2006 और 2011 के बीच अपने अंजाम तक पहंुचेगी, जब बृहस्पति मेष राशि में आयेगा। मेष राशि का मस्तिष्क के साथ काफी गहरा सम्बन्ध है। लिहाजा अचेतन रूप से और बगैर किसी इरादे के मैंने यह खोज की है कि सन 2011 हम मनुष्यों के लिए बहुत विशेष महत्व वाला होगा। सन 2022 देवी शक्ति का साल होगा, जो अपनी उत्पत्ति में भारतीय होगी और प्रभाव में सार्वभौम। यह देवी बोध और अनुकम्पा का सदेह रूप होगी। यह बोध और अनुकम्पा प्रेम और संवेदना की हमारी समझ से परे होगी। साथ ही मैं खुले तौर पर यह भी स्वीकार करता हूॅ कि यह देवी भारतीय होगी, ऐसा मुझे सिर्फ इसलिए लगता है क्योंकि मैं भारतीय हूँ। चेस्टस्टन ने कहा था, ”ब्रह्माण्डीय दर्शन मनुष्य के अनुरूप बैठने के लिए नहीं, बल्कि ब्रह्माण्ड के अनुरूप बैठने के लिए रचा गया है। मनुष्य के पास ठीक उसी तरह अपना एक नीजी धर्म नहीं हो समता, जिस तरह उसके पास एक निजी सूर्य और एक चंद्रमा नहीं हो सकता।“ सन 2034 में सार्वभौम विलायक का चिन्ह मीन कर्क राशि में स्थित शनि के साथ अत्यन्त मेल की स्थिति में बैठने जा रहा है। बृहस्पति भी कर्क में स्थित यूरेनस के साथ वैसे ही सुंदर सहमेल की स्थिति में है। यूरेनस विशाल, निष्पक्ष, वस्तुगत मुल्यों के लिए आता है। यूरेनस का स्वरूप कब्जावर नहीं होता। यूरेनस सच्ची जागृती, सच्चा प्रकाश लाने वाला है। एक विश्व सरकार 14 अप्रैल 2047 ओर जनवरी 2050 के बीच आकार ग्रहण करेगी। बृहस्पति और शनि दोनो उस समय पूर्ण शक्ति की स्थिति में होंगे। बृहस्पति कर्क और शनि मकर राशि में होगा। प्लूटो मीन राशि में होगा और लिहाजा यह बृहस्पति और शनि, दोनो के लिए कृपालु होगा। इतना ही महत्वपूर्ण यह तथ्य भी है कि मैं अपनी नंगी आँखो से महाद्वीपों, छोटे देशों, पहाड़ों, जमीन के बड़े-बड़े हिस्सों, छोटे रकबों अथवा जमीन के हिस्सों को बगैर किसी भूकम्प के एक साथ आते देख रहा हूँ। यह सब मिलकर एक एकीकृत सम्पूर्ण में बदल रहा है। मैं शीशे जैसी कोई चीज देख रहा हूँ जो इस तक भेजी गई हर चीज को शक्तिशाली और प्रभावी तरीके से वापस फंेक रही है। हर चीज से मेरा मतलब मिसाइल से लेकर किसी नकारात्मक विचार अथवा घृणा की भावना तक से है। यह ”बूमरैंग ढाल“ 2049 में पूरी तरह सम्पूर्ण हो जायेगी लेकिन अस्तित्व में यह अभी ही आ चुकी है। सन 2091 संसार की पूर्णता का चरम होगा। सर्वोच्च ऊर्जा के रूप में ईश्वर का अस्तित्व और उसका रहस्य खुल कर सामने आ जायेगा। इसका सौन्दर्य और विरोधाभास यह होगा कि विज्ञान ईश्वर की सर्वोच्च ऊर्जा को वास्तविक रूप में दिखाने व प्रदर्शित करने में मददगार साबित होगा। इसी समय लोग यह जान सकेगें कि ईश्वर चिन्हों व आत्मिक शक्ति के रूप में हमारे सामने प्रकटीकरण चाहता है। गणेश जी की कृपा से मैं आप सभी के लिए यह भविष्यवाणी करने में सफल रहा हूँ। इसका कोई श्रेय मैं स्वयं को नहीं देता।
4. पुस्तक – ”अमर भविष्यवाणियाँ“, लेखक -डा नारायण दत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक – मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत) के अनुसार
क. ध्यान योगी, बंगाल के सुप्रसिद्ध भविष्यवक्ता तथा संत के अनुसार – संसार को सतयुग का प्रकाश देने वाली आत्मा का जन्म भारत वर्ष में हो चुका है।
ख. डाॅ0 नारायण दत्त श्रीमाली जी के अनुसार – भारत में ईश्वर का जन्म हो चुका है। और वह जल्द ही समाज के सामने प्रकट होगा।
ग. शिवानन्द जी, उत्तरांचल के प्रसिद्ध संत के अनुसार – भारत को सही रास्ता दिखाने वाले नेता का जन्म हो चुका है। भारत की प्रतिष्ठा विश्व में निरंतर बढ़ती रहेगी।
घ. दक्षिण के प्रसिद्ध संत तथा विचारक ”मूर्ति“ के अनुसार – कल्कि भगवान का अवतार भारत में हो चुका हैं। भारत आयुर्वेद, ज्योतिष आदि ज्ञान में विशेष प्रगति करेगा। भारत के चतुर्दिक जो छोटे-छोटे देश हैं वे सब भारत वर्ष में मिल जायेंगे।
च. मि0 एडर्सन, अमेरिका के अनुसार – एशिया ही नहीं अपितु पूरे विश्व में भारत की शक्ति बढ़ेगी तथा उसका प्रभुत्व एवं वर्चस्व स्थापित होगा। सन् 1999 तक पूरा विश्व एक झंडे के तले कार्य करेगा तथा विश्व राष्ट्र का सपना साकार होगा। 20वीं सदी के अन्त से पहले या 21वीं सदी के प्रथम दशक में विश्व में असभ्यता का नंगा ताण्डव होगा। इस बीच भारत के एक देहात का एक धार्मिक व्यक्ति एक मानव, एक भाषा और झण्डा की रूपरेखा का संविधान बनाकर संसार को सदाचार, उदारता, मानवीय सेवा व प्यार का सबक देगा। वह मसीहा विश्व में आगे आने वाले हजारों वर्षो के लिए धर्म व सुख-शान्ति भर देगा। युग परिवर्तन परमात्मा की नीजी इच्छा है और वह रूकेगी नहीं। वह युग बदल कर ही रहेगा। इसमें सन्देह नहीं है।
छ. पादरी पियो, इटली के अनुसार – भारत सन् 1970 के बाद प्रगति करेगा और 1995 तक विश्व का एक प्रमुख राष्ट्र बन जायेगा। विश्व युद्ध के बाद भारत संसार की एक प्रमुख हस्ती होगी और लोग उसकी बात को मानने के लिए बाध्य होगें।
ज. योगी आनन्दाचार्य, नार्वे के अनुसार – सन् 1995 तक विश्व में शक्तिशाली देशों में भारत का नाम छठे स्थान में होगा। सन् 1971 के बाद भारत शक्तिशाली बनेगा। सन् 1975 के बाद विश्व में संस्त भाषा का तीव्रता से विकास होगा और पाश्चात्य में भी संस्त भाषा को पूर्ण मान्यता मिलेगी। सन् 1998 के बाद एक शक्तिशाली धार्मिक संस्था भारत में प्रकाश में आयेगी, जिसके स्वामी एक गृहस्थ व्यक्ति की आचार संंिहता का पालन सम्पूर्ण विश्व करेगा। धीरे-धीरे भारत औद्योगिक, धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से विश्व का नेत्त्व करेगा और उसका विज्ञान अर्थात आध्यात्मिक तत्वज्ञान ही पूरे विश्व को मान्य होगा।
अ. गंगोत्री के प्रसिद्ध सन्त ”निर्वाणानन्द जी“ के अनुसार – भारत आध्यात्मिक दिृष्ट से उन्नति करेगा। युग परिवर्तन की प्रक्रिया अप्रैल 1999 से चालू होगी।
ब. विश्वविख्यात महिला ”जीन डिक्सन“, अमेरिका के अनुसार – भारत के एक ग्रामीण परिवार में एक ऐसे व्यक्ति का जन्म होगा जो अपने कार्यों से पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेगा, तथा गांधी जी की तरह समाज का मार्ग दर्शन भी करेगा।
इस बीच भारत वर्ष में एक छोटे देहात में जन्में व्यक्ति का धार्मिक प्रभाव न केवल भारतवर्ष वरन् दूसरे देशों में भी बढ़ने लगेगा। वह व्यक्ति इतिहास का सर्वश्रेष्ठ मसीहा बनेगा। संसार के तमाम संविधानों के समानान्तर ”एक मानवीय संविधान“ का निर्माण करेगा, जिसमें सारे संसार की एक भाषा, एक संघीय राज्य, एक सर्वोच्च न्यायपालिका, एक झण्डे की रूपरेखा होगी। इस प्रयत्न के प्रभाव से मनुष्य में संयम, सदाचार, न्याय, नीति, त्याग और उदारता की होड़ लगेगी। आज संसार धर्म और संस्कृति के जिस स्वरूप की कल्पना भी नहीं करता, उस धर्म का तेजी से विस्तार होगा और वह सारे संसार पर छा जायेगा। यह धर्म-संस्कृति भारतवर्ष की होगी और यह मसीहा भी भारतवर्ष का ही है, जो इस आने वाली क्रान्ति की नींव सुदृढ़ बनाने में जुटा हुआ है।
स. आर्थर चाल्र्सक्लार्क के अनुसार – जिस प्रकार इस समय संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय अमेरिका में है। उसी प्रकार संयुक्त ग्रह राज्य संघ का मुख्यालय मंगल ग्रह या गुरू पर हो सकता है। सन् 1981 तक भारत अपने आप में शक्तिशाली हो जायेगा तथा वहां से एक ऐसी जबरदस्त विचार क्रान्ति उठेगी जो पूरे विश्व को प्रभावित करेगी। भारत का धर्म और अध्यात्म पूरा विश्व स्वीकार करेगा।
द. प्रोफेसर हरार, इजराइल के अनुसार – भारत में एक ऐसा व्यक्ति पैदा हो गया है। जो कि आने वाले समय में विश्व का मार्गदर्शक होगा। वह व्यक्ति ब्राम्हण है, तथा वर्ण-गोरा है, वह यज्ञ तथा पूजा पाठ में विषेश प्रवीण होगा। इसका विकास सन् 1970 के बाद होना चाहिये। दिव्य देहधारी पुरूष ने जन्म लिया है। वे सबके मन में प्रसन्नता भरेगें। दुनिया भर के कष्ट दूर करेगें। अन्यायी और अत्याचारियों को भी वही ठीक करेगें। भारत देश का एक दिव्य महापुरूष मानवतावादी विचारों से सन् 2000 ई0 से पहले-पहले आध्यात्मिक क्रान्ति की जड़े मजबूत कर लेगा व सारे विश्व को उसके विचार सुनने को बाध्य होना पड़ेगा।
य. डाॅ0 जूलबर्न, फ्रांसीसी भविष्यवक्ता के अनुसार – भारत में एक ऐसे व्यक्ति का जन्म सन् 1962 के पहले ही हो चुका है। जो पूरी दुनिया को आगे चलकर रास्ता दिखाने में सहायक होगा। इतिहास का सबसे समर्थ व्यक्ति का अवतरण हो चुका है। वह शीघ्र ही सारी दुनिया को बदल डालेगा। उसकी ज्ञान-क्रान्ति उठेगी और आँधी-तुफान की तरह सारे विश्व में छा जायेगी। एक ओर इस तरह संघर्ष हो रहे होगें और दूसरी ओर एक विल्कुल नई धार्मिक क्रान्ति उठ खड़ी होगी, ईश्वर (परमेश्वर) और आत्मा के नये-नये रहस्य प्रकट करेगी। विज्ञान उसकी पुष्टि करेगा। फलस्वरूप नास्तिकता और बामपन्थ नष्ट होता चला जायेगा और उसके स्थान पर लोगों में श्रद्धा, आस्तिकता, न्याय-नीति, अनुशासन और कत्र्तव्यपरायणता के भाव उगते हुये चले जायेगें। यह परिवर्तन ही विश्व शान्ति के आधार बन सकते हैं। मुझे आभास होता है कि यह ज्ञान (धार्मिक) क्रान्ति भारतवर्ष से ही उठेगी। सन् 1990 के बाद यूरोपीय देश भारत की धार्मिक सभ्यता की ओर तेजी से झुकेगें। सन् 2000 तक विश्व की आबादी 640 करोड़ के आस-पास होगी। भारत से उठी ज्ञान की धार्मिक क्रान्ति नास्तिकता का नाश करके आँधी तूफान की तरह विश्व को ढक लेगी। उस भारतीय महान आध्यात्मिक व्यक्ति के अनुयायी देखते-देखते एक संस्था के रूप में आत्मशक्ति से सम्पूर्ण विश्व पर प्रभाव जमा लेगें।
5. पुस्तक – ”विश्व की आश्चर्यजनक भविष्यवाणियाँ“, लेखक नरेन्द्र शर्मा, प्रकाशक – पवन पाकेट बुक्स, दिल्ली (भारत) के अनुसार
अ. श्रीमती आयरिन हयूजेज, अमेरिका के अनुसार – ईश्वर का जन्म भारत में हो चुका है। जो कि युद्ध के बाद शेष संसार को शांति का संदेश देगा।
ब. कीर्तिधरण, सिंगापुर के अनुसार – ईश्वर का जन्म भारत में हो चुका है। इसे ही हमारे ग्रन्थों में ईश्वर अवतार (कल्कि अवतार) कहा गया है।
स. प्रो गेरार्ड क्राइसे, हालैंड के अनुसार – भारत में एक ऐसी दिव्यात्मा ने जन्म ले लिया है जो पूरे विश्व को सत्य धर्म का रास्ता दिखाएगी। पापों का अंत उसी के द्वारा होगा। ज्योतिष के क्षेत्र में भी भारत एक शीर्ष स्थान प्राप्त करेगा तथा पूरा विश्व उसका लोहा मानेगा।
द. पीटर हरकौस, हालैण्ड के अनुसार – भारत देश ही एक ऐसा देश होगा जिसका आध्यात्मिक प्रभाव प्रकाश बनकर विश्व के चारों ओर फैलता जायेगा। लोग इससे लाभ उठायेंगे और हर देश भारत की ओर झुकेगा।
6. पुस्तक – ”दुर्लभ भविष्यवाणियाँ“, लेखक – अशोक कुमार शर्मा, प्रकाशक – तुलसी पब्लिकेशन, मेरठ, उत्तर प्रदेश (भारत) के अनुसार
अ. संत गुरूनानक देव जी का कथन – संकेतों में भविष्यवाणी करने वाले गुरू नानक जी महाराज ने भी यहाँ 1997 में किसी वीर पुरूष के उठने, आगे आने की बात कही है वह शब्द हैं। ”आवन अठ तरै जान सतानवे, होर भी उठसी मरद का चेला“
ब. बाबाजी लक्ष्मणदास मदान के अनुसार – सन् 1998 में अप्रैल माह तक कोई विलक्षण व अलौकिक शक्ति सम्पन्न भारतीय संत पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करेगा
7. एजटेक सभ्यता की भविष्यवाणीयाँ पहले पहल सफल नहीं हुई और उनके साम्राज्य का काफी हिंसक अंत हुआ। एजटेक की पौराणिक मान्यता के अनुसार मानवजाति का पहला युग, जानवरों द्वारा इंसानों को खाने, दूसरा हवा, तीसरा आग व चैथा पानी से नष्ट होना था। वर्तमान पाँचवां युग नहुई-ओलिन (भूकम्प का सूरज) कहलाता है जो 3113 ई.पू. में शुरू हुआ और 24 दिसम्बर 2011 को अंत की भविष्यवाणी है।
8. इंका की आखिरी जाति ने हाल ही में ंअंत समय से जुड़ी बातें प्रकट की कि कैसे कैरो अगले पकाकुटी की प्रतीक्षा में है, जो धरती को बदल देगा व इसे दुनिया का अंत मानते हैं। वे मानते हैं कि उथल-पुथल के लक्षण शुरू हो गये हैं, जो चार साल तक रहेगा जिससे एक नई मानवता का उदय होगा। इसके लक्षणों में पहाड़ी लैगून सूखना व महान सौर ताप आदि शामिल है। इसके बाद हम पाँचवें सूरज में प्रकट होगें।
9. वर्ष 2008 में अमेरिका के महात्मा स्काट मानडेल्कर ने दावा किया – एक ई.टी. की आत्मा ने उसे आॅनलाइन न्यूज चैनल पर चेतावनी दी है कि 2010 या 2012 में कोई अजीब सी घटना घटेगी। 21 मई, 2011, शुक्रवार को कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटेगीं क्योंकि तकरीबन 11,013 ई.पू. में उसी दिन ईश्वर ने जीव जगत की रचना की थी। उन्होंने घोषणा की कि 21 अक्टुबर 2011 को यह दुनिया आग से नष्ट हो जायेगी। बाइबिल व्याख्याताओं के अनुसार भी 21, अक्टुबर, 2011 इस दुनिया का आखिरी दिन होगा।
10. ”दी बाइबिल कोड“ के लेखक मिशेल ड्रोसनिन के अनुसार- 21 दिसम्बर, 2012 में एक धूमकेतू पूरी पृथ्वी को नष्ट कर देगा।
11. पादरी जाॅन मेलार्ड (हीलिंग लाइफ के सम्पादक) के अनुसार – आज संसार की समस्यायें इतनी जटिल हो गयी हैं कि उन्हें मानवीय बुद्धि और बल पर सुलझाया नहीं जा सकता। विश्व शान्ति अब मनुष्य की ताकत के बाहर हो गयी है। तथापि हमें निराश होने की बात नहीं, क्योंकि ऐसे संकेत मिल रहें है कि भगवान स्वयं धरती पर आ गये हैं और वे अपनी सहायक शक्तियों के साथ धर्म स्थापना के प्रयत्नों में जुट गये हैं। उनकी बौद्धिक व धार्मिक क्षमता उनके अपने आप अवतार होने की बात स्पष्ट कर देगी। वह दुनिया का उद्धारक देर तक पर्दे में छिपा नहीं रह सकता।
12. श्रीमान् करलोस बेरियोस के अनुसार – मायावासियों ने 21 दिसम्बर, 2012 में एक पुनर्जन्म, पाँचवें सूरज के आरम्भ की दुनिया के रूप में देखा। जब सोलन मैरीडियन गैलक्टिक इक्वेटर को पार करेगा तथा पृथ्वी स्वयं आकाशगंगा के मध्य सरेखित होगी तो यह एक नये युग की शुरूआत होगी। हम मायां कैलेण्डर तथा भविष्यवाणीयों के युग में जी रहे हैं। सारी दुनिया की भविष्यवाणीयों तथा परम्पराए बदल रही हैं। झूठे खेलों के लिए समय नहीं है। इस युग का आध्यात्मिक विचार है-”कर्म“। इस युग में कई शक्तिशाली आत्माएं और अधिक शक्ति से इस युग में अवतार लेंगी। काफी बदलाव आयेगें, लेकिन यह लोगों पर निर्भर करता है कि वे इन्हें आसानी से लेते हैं या मुश्किल से। हम उस युग के द्वार पर हैं जहाँ से शान्ति की शुरूआत होगी, लोग धरती माँ के साथ सामंजस्य बनाएगें, हम चैथे सूरज की दुनिया में नहीं है लेकिन अभी पाँचवें सूरज की दुनिया में भी नहीं पहुँचे। यह बीच का परागमन काल है।
13. डूरबे आंदोलन के नेता सोलारा अंतरा अमारा के अनुसार – 11 जनवरी, 1992 से 31 दिसम्बर, 2011 तक हमें एक ”अवतार का द्वार“ मिला है, जिसमें मानवता को बुराइयों से छूटकर चेतना के ऊँचे स्तर तक लाने का मौका मिलेगा या फिर सर्वनाश होगा।
14. टेरेंस मेकेना के अनुसार – मायां क्रमिक विकास व नये युग के मेल – नावल्टी सिद्धान्त से धरती से कोई छोटा ग्रह टकरायेगा, किसी दूसरे रूप में बदलाव होगा या फिर 21 दिसम्बर, 2012 को बिल्कुल नवीन घटना घटित होगी।
15. इंग्लैण्ड के ज्योतिष कीरो के अनुसार – किरो ने सन् 1925 में लिखी पुस्तक में भविष्यवाणी की है कि 20वीं सदी अर्थात् सन् 2000 ई0 के उत्तरार्द्ध में सन् 1950 के पश्चात् उत्पन्न सन्त ही विश्व में ”एक नई सभ्यता“ लाएगा जो सम्पूर्ण विश्व में फैल जाएगी। भारत का वह एक व्यक्ति सारे संसार में ज्ञानक्रान्ति ला देगा। भारत वर्ष का सूर्य बलवान है और कुम्भ राशि पर है। उसका अभ्युदय संसार की कोई ताकत नहीं रोक सकती, विशुद्ध धर्मावलम्बी नीति के एक सशक्त व्यक्ति के भारत वर्ष में जन्म लेने के योग हैं। यह व्यक्ति सारे देश को जगाकर रख देगा। उसकी आध्यात्मिक शक्ति दुनिया भर की तमाम भौतिक शक्तियों से अधिक होगी। बृहस्पति का योग होने के कारण ज्ञान क्रांति की संभावना है। जिसका असर दुनिया में पडे़ बिना नहीं रहेगा।
16. भविष्यवक्ता श्री वेजीलेटिन के अनुसार – 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में विश्व में आपसी प्रेम का अभाव, मानवता का हा्रस, माया संग्रह की दौड़, लूट व राजनेताओं का अन्यायी हो जाना आदि आदि बहुत से उत्पात देखने को मिलेगें। परन्तु भारत से उत्पन्न हुई शान्ति भ्रातृभाव पर आधारित नई सभ्यता, संसार में देश, प्रान्त और जाति की सीमायें तोड़कर विश्वभर में अमन व चैन उत्पन्न करेगी।
17. अमेरिका के चाल्र्स क्लार्क के अनुसार – 20वीं सदी के अन्त से पहले एक देश विज्ञान की उन्नति में सब देशों को पछाड़ देगा परन्तु भारत की प्रतिष्ठा विषेशकर इसके धर्म और दर्शन से होगी, जिसे पूरा विश्व अपना लेगा। यह धार्मिक क्रान्ति 21वीं सदी के प्रथम दशक में सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करेगी और मानव को आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी।
18. हंगरी की महिला ज्योतिषी बोरिस्का के अनुसार – सन् 2000 ई0 से पहले-पहले उग्र परिस्थितियों हत्या और लूटमार के बीच ही मानवीय सद्गुणों का विकास एक भारतीय फरिस्ते द्वारा भौतिकवाद से सफल संघर्ष के फलस्वरूप होगा, जो चिरस्थायी रहेगा, इस आध्यात्मिक व्यक्ति के बड़ी संख्या में छोटे-छोटे लोग ही अनुयायी बनकर भौतिकवाद को आध्यात्मिकता में बदल देगें।
19. डाॅ0 निरूपमा राव, निदेशक, नेहरू तारामण्डल के अनुसार – 18 से 22 नवम्बर, 1997 के बीच सूर्यास्त से आधे घण्टे बाद आकाश में सूर्यमण्डल के 9 में से 8 अर्थात पृथ्वी को छोड़कर क्योंकि हम उस पर ही है, ग्रहों के परेड के दुर्लभ दर्शन की घटना पर डाॅ0 निरूपमा राव के विचार- प्राचीन काल में जब उत्तरायण के समय ऐसे ग्रहों का समूहन होता था तब नये युग के शुरूआत का निर्धारण होता था। आर्यभट्ट ने पाँचवी सदी ईसा पूर्व में जो गणना की थी वह वास्तव में ऐसे ही ग्रह समूहन पर आधारित था। यह समूहन 17-18 फरवरी के दिन ईसा पूर्व 3102 में हुआ माना जाता है, जो द्वापर युग की समाप्ति और कलियुग के प्रारम्भ का काल था।
20. ज्योतिषि राजनारायण, पंजाब के अनुसार – आखिरी अवतार श्री कल्किजी हैं। अगली चतुर्युगी की धर्म मर्यादा श्री कल्कि जी बाँधेगें। नया सम्वत् चलेगा। (चेतावनी, उर्दू, 1942 पृष्ठ संख्या 109, गुड़गाँवाँ, पंजाब, भारत)
21. महात्मा तिश्वरंजन ब्रम्हचारीख्याति के अनुसार – देश में एक महान आध्यात्मिक क्रांति होगी तथा इस क्रांति का संचालन यद्यपि मध्यभारत से ही होगा पर उसका सम्बन्ध भारत वर्ष के हर प्रान्त से होगा।
22. विख्यात भविष्यवक्ता प्रो0 ए0 के0 दुबे पदमेश के अनुसार – सन् 2000 के आस पास ही भविष्य का अवतारी पुरूष प्रकट होगा। यह अवतारी पुरूष चमत्कारी शक्तियों के कारण अल्पायु में ही ख्याति प्राप्त करेगा। वह एक ही ईश्वर की पूजा का संदेश देगा, मगर कोई नया धर्म नहीं चलायेगा। संसार के अनेक देशों में वह सत्ता परिवर्तन का कारण बनेगा, मगर उन देशों का शासन अपने द्वारा नियुक्त लोगों से करायेगा।
23. प्रभात खरे के अनुसार – धूमकेतु का ब्रहस्पति से टक्कर बुरा भी और अच्छा भी । धूमकेतु के बुरे प्रभाव से सभी परिचित हैं परन्तु जो अच्छा प्रभाव इन्होनें लिखा है वह निम्न है इस घटना से संभवतरू पहली बार हो रहा है कि धूमकेतु की गुरू से टक्कर का एक अच्छा कल्याणकारी प्रभाव होगा। जिसे हम ऐसे समझ सकते हैं। केतु जिसका कारक या प्रतिनिधित्व करता है वह है- जननांग, बाल, धर्म, धागा, तंत्रिकातंत्र, बाधा, चेन, मनकों वाली माला, जाल में उलझना इत्यादि, ज्योतिष में इन कारकों का उपयोग प्रतीक के रूप में होता है। इस तरह शूमेकर लेवी धूमकेतु जो कि 21 मनकों वाली माला के रूप में आगे बढ़कर गुरू के साथ युति कर रहा है। जिसका अर्थ हुआ केतु का गुरू के साथ योग, साथ ही साथ केतु की छाया ग्रह की सातवीं दृष्टि भी है मेष राशि से, अतः इसका अर्थ हुआ कि संसार में आध्यात्मिक प्रगति जोर पकडे़गी जिसके फलस्वरूप 1. धर्म प्रधान देश उन्नति करेंगे जैसे भारत, इजिप्स, चीन। 2. आध्यात्म और परामनोविज्ञान के क्षेत्र में प्रतिभा रखने वाले व्यक्ति लोक हित कार्यो में आगे आयेंगे। एक संभावना यह भी है कि कोई महात्मा या योगी, एक नये धर्म का प्रचार प्रसार करेगा और सबसे बड़ी बात यह है कि इस व्यक्ति को व्यापक जन समर्थन सभी धर्मो के व्यक्तियों से मिलेगा।
साभार- नव भारत (समाचार पत्र) 25 जून 1994, बिलासपुर (म.प्र.) भारत
24. साभार- दैनिक नवभारत, रविवार, 13 नवम्बर 1998, जबलपुर (म. प्र.) भारत के अनुसार – यूरोप जातियों का झुकाव भारत वर्ष जैसे धार्मिक देश की ओर तेजी से होगा केवल लोग भारतीयों का अनुगमन, वेशभूषा, खान-पान, गृहस्थ संबंधों के रूप में करेंगे वरन् भारतीय धर्म तथा संस्कृति के प्रति श्वेत जातियों का आकर्षण इतना बढ़ेगा कि सन् 2000 तक दूसरे देशों मे बीसियों हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिरों की स्थापना हो चुकी होगी और उसमें लाखों लोग पूजा, उपासना, भजन-कीर्तन और भारतीय पद्धति के संगीत का आनंद लेने आने लगेंगे, यूरोपवासियों के घरों में भारतीय देवी-देवताओं के चित्र तक लगेंगे, -चीन अणुबम बनाकर भी एशिया का प्रभुता सम्पन्न देश नहीं बनेगा उसकी भारतवर्ष से काफी समय तक शत्रुता बनी रहेगी भारत न केवल अपनी भूमि छुड़ा लेेगा वरन् तिब्बत भी मुक्त हो जायेगा उसके भारत वर्ष में मिल जाने की संभावना भी है संसार के किसी सर्वाधिक प्राचीन पर्वत से जो वर्ष भर बर्फ से का रहता है संभवतः हिमालय उससे कुछ ऐसी सामग्री, पुस्तकों और स्वर्ण मुद्राओं का भंडार मिल सकता है जो ईसा के पूर्व के इतिहास को बिलकुल ही बदल सकता है यही नही, उससे संबधिंत देश सम्भवतः भारत इतना शक्तिशाली हो सकता है कि रूस, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मन मिलकर भी उसका सामना करने में समर्थ नही होंगे। उपरोक्त किसी भू-भाग से एक रहस्यमय व्यक्ति का अभ्युदय होगा जो आज तक के इतिहास का सबसे समर्थ व्यक्ति सिद्ध होगा उनके बनाये विधान सारे संसार में लागू होंगे और 2050 तक यह विधान सारी पृथ्वी को एक संघीय राज्य में बदल देंगे -सन् 2000 तक विश्व की आबादी 640 करोड़ के लगभग होगी, परमाणु युद्ध तो नहीं होंगे पर वर्ग-संघर्ष बढ़ेगा एक ओर इस तरह के संघर्ष हो रहे होंगे व दूसरी ओर एक विश्वव्यापी धार्मिक क्रांति उठ खड़ी होगी जो ईश्वर और आत्मा के नये-नये रहस्य प्रकट करेगी, विज्ञान उनकी पुष्टि करेगा फलस्वरूप नास्तिकता और वामपंथी नष्ट होता चला जाएगा उसके स्थान पर लोगों में आस्तिकता, न्याय, नीति, श्रद्धा अनुशासन और कर्तव्यपरायणता के भाव उगते चले जायेंगे यह परिवर्तन ही विश्व शांति के आधार बन सकते हैं -प्रो जूलबर्न ने बताया है कि यह आध्यात्मिक क्रांति भारतवर्ष से ही उठेगी व इसके संचालन के लिए वह व्यक्ति सन् 1962 के पूर्व ही जन्म ले चुका है इस समय उसे भारतवर्ष के किसी महत्वपूर्ण कार्य में संलग्न होना चाहिये उसके अनुयाइयों की बड़ी संख्या भी है व एक समर्थ संस्था के रूप में प्रकट होंगे और देखते ही देखते सारे विश्व में प्रभाव जमा लेंगे असंभव दिखने वाले परिवर्तनों को आत्मशक्ति के माध्यम से सरलता व सफलतापूर्वक सम्पन्न करेंगे।
25.दैनिक नवभारत, रविवार 25 अक्टूबर 1998, जबलपुर (म. प्र.) भारत के अनुसार – तीन सागरों की श्रृंखला में जन्मा पूर्व में एक ऐसा नेता पैदा होगा, जो ”बृहस्पतिवार“ को अपना उपासना दिन सरकारी अवकाश घोषित करेगा उस गैर ईसाई व्यक्ति की महिमा, प्रशंसा और अधिकार इतने प्रबल होंगे कि समस्त धरती व समुद्र पर्यन्त वह तूफान की तरह छाया रहेगा। यह नास्त्रेदमस की सर्वाधिक चर्चित भविष्यवाणी है भौगोलिक स्थिति के अनुसार संपूर्ण विश्व में भारत ही एक ऐसा स्थान है, जिसके दोनों छोर पर दो सागर हैं तथा चरणों में एक महासागर है नास्त्रेदमस के अनुसार एशिया का महान नेता भारत में जन्म लेगा वह ईसाई नहीं होगा, अपितु ऐसा व्यक्ति होगा जो ”बृहस्पतिवार“ गुरुवार को शुभ दिन मानेगा। संसार के प्रत्येक धर्म के उपासनावार एवं शुभवार अलग – अलग हैं ईसाइयों का पूजा दिवस रविवार है, मुसलिम धर्माचार्यों का पवित्र दिवस शुक्रवार है यहूदियों का प्रार्थना दिवस शनिवार है विश्व में एक हिन्दू जाति ही ऐसी है, जो बृहस्पतिवार गुरुवार को सर्वाधिक श्रेष्ठ व शुभ मानती है, क्योंकि यह देवगुरु बृहस्पति का वार है जो देवताओं के गुरु कहलाये गये हैं।
26. श्री देवी प्रसाद दुआरी, नासा के खगोलविद् व कोलकाता (प0 बंगाल, भारत) स्थित एम.पी.बिड़ला प्लेनेटोरियम के निदेशक के अनुसार (18 दिसम्बर, 2012 दैनिक जागरण, वाराणसी) – 21 दिसम्बर, 2012 दुनिया का अंत नहीं बल्कि एक युग का अन्त और नये युग की शुरूआत है।
27. राहु-शनि नें मिलाया हाथ अब मचेगी खलबली (18 दिसम्बर, 2012 दैनिक जागरण, वाराणसी) ज्योतिषाचार्य रामनरेश त्रिपाठी, इलाहाबाद के अनुसार – 23 दिसम्बर, 2012 की दोपहर एक बजे से राहु एवं केतु अपनी राशि बदलेगें। दो विषम ग्रह राहु और शनि एक ही घर में बैठने जा रहे हैं। दोनों एक साथ कुल 18 महीने रहेंगे। ऐसा योग पूरे 147 वर्ष बाद बनने जा रहा है। यह योग सन् 1865 में बना था। 2012 के बाद यह योग अब सन् 2161 में 194 साल बाद बनेगा। 147 वर्ष बाद बन रहे इस योग से राजनीतिक व सामाजिक दृष्टि से कई परिवर्तन होंगे। ज्योतिषाचार्य रवि किशन मिश्रा, इलाहाबाद के अनुसार- कुंभ के अवसर पर शनि-राहु का योग पड़ना किस्मत में कई उलटफेर की ओर इशारा करता है। परोपकार करने वाले और सच्चे दिल वाले लोगों के लिए यह योग फलदायक होगा।

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