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अमृत कुम्भ-2013, पृष्ठ – 34

AMRIT KUMBH - 2013
AMRIT KUMBH - 2013
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”विश्वशास्त्र“ – कितना छोटा और कितना बड़ा?

1. कक्षा 8 तक की शिक्षा प्राप्त करने तक सभी विषयों को मिलाकर जिनते पृष्ठ पढ़ा जाता है, विश्वशास्त्र उससे छोटा है।
2. उच्च शिक्षा के किसी भी एक विषय के पाठ्य पुस्तक से विश्वशास्त्र छोटा है।
3. विश्वविद्य़ालय में किसी विषय पर किये गये 5 शोध-पत्रों से विश्वशास्त्र छोटा है।
4. किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए पढ़े गये पुस्तकों से विश्वशास्त्र छोटा है।
5. 5 उपन्यासों के कुल पृष्ठ से विश्वशास्त्र छोटा है।
6. किसी सबसे अधिक पढ़े जाने वाले हिन्दी समाचार पत्र के मात्र 15 दिनों के समाचार पत्र से विश्वशास्त्र छोटा है।
7. एक क्रिकेट टेस्ट मैच के दौरान क्रिकेट के सम्बन्ध में दूरदर्शन के चैनल पर किये गये कमेन्ट्री व वार्ता से निकले वाक्यों से विश्वशास्त्र छोटा है।
8. 10 फिल्मों के पटकथा से विश्वशास्त्र छोटा है।
9. किसी एक घोटाले के जाँच पर तैयार किये गये रिपोर्ट से विश्वशास्त्र छोटा है।
10. 4 औरतों को बिना किसी मुद्दे पर चर्चा के बात करने के लिए 1 सप्ताह एक साथ रखने पर निकले वार्ता से विश्वशास्त्र छोटा है।
11. एक सास-बहू या किसी दूरदर्शन धारावाहिक को देखने में जितना समय लगेगा, उससे कम समय में विश्वशास्त्र पढ़ा जा सकता है।
12. एक लड़की जिसका एक लड़का मित्र (ब्वाॅय फ्रेण्ड) हो, मोबाइल पर बात करने के लिए स्वतन्त्र कर दिया जाय तो वह 5 दिन में जितना बात करेगी, उसके मूल्य और निकले साहित्य से विश्वशास्त्र छोटा है।
13. निरक्षर के लिए इस शास्त्र का मूल्य शून्य है, साक्षर के लिए यह उपयोगी है, पशु-प्रवृत्तियों के लिए यह विश्वशास्त्र गोवर्धन पर्वत है, योगियों के लिए यह अँगुली पर उठाने योग्य है, धनिकों के लिए यह व्यर्थ है, नई पीढ़ीयों के लिए यह भविष्य निर्माता है, नेतृत्वकर्ताओं के लिए यह नेतृत्व की कला है, ज्ञान पिपासुओं के लिए यह मार्गदर्शक और उपलब्धि है।
14. काशी क्षेत्र का विश्वशास्त्र सत्य रूप है, उसकी संस्कृति है, उसका प्रतिनिधि शास्त्र है और उसका गौरव है।
15. भारत के लिए विश्वशास्त्र भारतीयता है तथा मानवता का चरम विकसित बिन्दु है। राष्ट्र के लिए राष्ट्रीयता है।
16. युग के लिए यह युग-परिवर्तक है, व्यवस्था के लिए यह व्यवस्था-सत्यीकरण है।
17. लोकतन्त्र के लिए यह पुष्टिकारक है, संविधान के लिए यह मार्गदर्शक है, विभिन्न शास्त्रों के बीच विश्वशास्त्र ही गुरू है और आत्मतत्व का दृश्य रूप है।

निर्णय आपके हाथ
ज्ञान-कर्मज्ञान का आस या समय का पास

शास्त्र और शास्त्राकार से सम्बन्धित स्थान ?

1. रिफाइनरी टाउनशिप अस्पताल, बेगूसराय (बिहार) का जन्म स्थान सोमवार, 16 अक्टुबर 1967 (आश्विन, शुक्त पक्ष-त्रयोदशी, रेवती नक्षत्र) में हुआ और टाउनशिप के E1-53, E2-53, D2F-76, D2F-45 और साइट कालोनी के D-58, C-45 में रहें।
2. नईबस्ती बघेड़ा, संत रविदास मन्दिर (मीरजापुर, उ0प्र0 ) के दक्षिण पैतृक भूमि का स्थान जहाँ दृश्यकाल के ”शब्दब्रह्म“ की प्राप्ति 1992 में हुई।
3. C-45, साइट कालोनी, रिफाइनरी, बेगूसराय (बिहार) और चित्रगुप्त नगर, खगड़िया (बिहार), का स्थान जहाँ शास्त्र का आरेख प्रारूप सन् 1994 से सन् 1996 में तैयार किया गया।
4. श्री सियाराम सिंह पुत्र स्व0 राममन्दिल सिंह ”नारदजी“ का मकान ”सर्वजीत साधना भवन“ मुर्धवा, रेनुकूट (सोनभद्र, उ0प्र0) स्थित जहाँ शास्त्र के मूल सूत्र सन् 1998 से 2001 में लिखे गये।
5. निवास स्थान नियामतपुर कलाँ, मीरजापुर, उ0प्र0 (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय-बी.एच.यू, वाराणसी के दक्षिण गंगा उस पार), जहाँ शास्त्र को सन् 2010 से अन्तिम रूप देने का कार्य हुआ और मथुरा में पूर्ण किया गया। बीच-बीच में चित्रकूट, वैष्णों देवी, धर्मशाला (हि.प्र), वाराणसी इत्यादि स्थानों पर शास्त्र रचना का कार्य हुआ।
6. शास्त्राकार के कारण सत्यकाशी क्षेत्र अन्तर्गत चुनार क्षेत्र के शेरपुर, बकियाबाद, धनैता मझरा, पचेवरा, फिरोजपुर, केशवपुर, भगीरथपुर, कोलना, घासीपुर बसाढ़ी, जौगढ़, रामरायपुर, जलालपुर माॅफी, गांगपुर, रामजीपुर, बघेड़ा इत्यादि गाँव भी जाने जायेंगे।
6. मा.वि.म. इण्टरमीडिएट कालेज, पुरूषोत्तमपुर, मीरजापुर, उ0प्र0 (दसवीं, सन् 1981), पी.एन.जी. इण्टर कालेज, रामनगर, वाराणसी, उ0प्र0 (बारहवीं, सन् 1983) और हरिश्चन्द्र डिग्री कालेज, वाराणसी, उ0प्र0 (बी.एससी.ं, सन् 1985) के कालेज।
7. इण्डिया एजूकेशन सेन्टर, एम-92, कनाॅट प्लेस, नई दिल्ली, जहाँ से सन् 1988 में कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग और सिस्टम एनालिसिस में पोस्ट ग्रेजूएट डिप्लोमा का कोर्स पूर्ण किये।

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