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अमृत कुम्भ-2013, पृष्ठ – 40

AMRIT KUMBH - 2013
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युगान्त स्वर्णयुग के विश्वधर्म का शास्त्र है -”विश्वशास्त्र“

लव कुश सिंह ”विश्वमानव“ रचित – विश्वशास्त्र जिसमें समाहित है-

1. विश्व-नागरिक धर्म का धर्मयुक्त धर्मशास्त्र
पंचम वेद- प्रचीन काल से ही पंचम वेद की उपलब्धता मानव समाज के लिए एक विवादास्पद विषय रहा है। बहुत से रचनाकार और समर्पित व्यक्तियों ने अपने-अपने साहित्य को पंचमवेद के रुप में प्रस्तुत किया था जैसे- रामचरित मानस के लिए तुलसीदास, महाभारत के लिए महर्षि वेद व्यास, शास्त्रीय कार्यों के लिए एक तमिलियन संत ने, अच्छे बुरे कर्मों का संकलन के लिए माध्वाचार्य, नाट्यशास्त्र अर्थात् गन्धर्ववेद, चिकित्साशास्त्र अर्थात् आयुर्वेद, गुरु ग्रंथ साहिब, लोकोक्तियाँ इत्यादि। परन्तु जब पंचम वेद अन्तिम होगा तो वह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड स्थूल एवं सूक्ष्म दोनों को एक ही सिद्धान्त द्वारा प्रमाणित करने में सक्षम होगा और वहीं विश्व प्रबन्ध का अन्तिम साहित्य होगा। जो सिर्फ कर्मवेद: प्रथम, अन्तिम और पंचमवेद में ही उपलब्ध है। लव कुश सिंह ”विश्वमानव“ के विचार से कर्मवेद को ही अन्य नामों जैसे- 01. कर्मवेद 02. शब्दवेद 03. सत्यवेद 04. सूक्ष्मवेद 05. दृश्यवेद 06. पूर्णवेद 07. अघोरवेद 08. विश्ववेद 09. ऋृषिवेद 10. मूलवेद 11. शिववेद 12. आत्मवेद 13. अन्तवेद 14. जनवेद 15. स्ववेद 16. लोकवेद 17. कल्किवेद 18. धर्मवेद 19. व्यासवेद 20. सार्वभौमवेद 21. ईशवेद 22. ध्यानवेद 23. प्रेमवेद 24. योगवेद 25. स्वरवेद 26. वाणीवेद 27. ज्ञानवेद 28. युगवेद 29. स्वर्णयुगवेद 30. समर्पणवेद 31. उपासनावेद 32. शववेद 33. मैंवेद 34.अहंवेद 35. तमवेद 36. सत्वेद 37. रजवेद 38. कालवेद 39. कालावेद 40. कालीवेद 41. शक्तिवेद 42. शून्यवेद 43. यथार्थवेद 44. कृष्णवेद सभी प्रथम, अन्तिम तथा पंचम वेद, से भी कहा जा सकता है। इस प्रकार प्रचीन काल से पंचम वेद की उपलब्धता का विवादास्पद विषय हमेशा के लिए समाप्त हो गया।

विश्वभारत – आदर्श मानक सामाजिक व्यक्ति चरित्र समाहित आदर्श मानक वैश्विक व्यक्ति चरित्र अर्थात सार्वजनिक प्रमाणित आदर्श मानक वैश्विक व्यक्ति चरित्र

2. विश्व-राज्य धर्म का धर्मनिरपेक्ष धर्मशास्त्र

विश्वमानक शून्य-मन की गुणवत्ता का विश्वमानक श्रृंखला

1. डब्ल्यू.एस. -0 ः विचार एवम् साहित्य का विश्वमानक
2. डब्ल्यू.एस. -.00 ः विषय एवम् विशेषज्ञों की परिभाषा का विश्वमानक
3. डब्ल्यू.एस. -000 ः ब्रह्माण्ड (सूक्ष्म एवम् स्थूल) के प्रबन्ध और क्रियाकलाप का विश्वमानक
4. डब्ल्यू.एस. -0000 ः मानव (सूक्ष्म तथा स्थूल) के प्रबन्ध और क्रियाकलाप का विश्वमानक
5. डब्ल्यू.एस. -.00000 ः उपासना और उपासना स्थल का विश्वमानक

विश्वव्यापी स्थापना का स्पष्ट मार्ग

मन (मानव संसाधन) के अन्तर्राष्ट्रीय / विश्व मानक श्रृंखला के विश्वव्यापी स्थापना के निम्नलिखित शासनिक प्रक्रिया द्वारा स्पष्ट मार्ग है।
1. जनता द्वारा – जनता व जन संगठन जनहित के लिए सर्वोच्च न्यायालय में यह याचिका दायर की जा सकती है कि सभी प्रकार के संगठन जैसे- राजनीतिक दल, औद्योगिक समूह, शिक्षण समूह जनता को यह बतायें कि वह किस प्रकार के मन का निर्माण कर रहा है तथा उसका मानक क्या है?
2.भारत सरकार द्वारा – भारत सरकार इस श्रृंखला को स्थापित करने के लिए संसद में प्रस्ताव प्रस्तुत कर अपने संस्थान भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के माध्यम से समकक्ष श्रृंखला स्थापित कर विश्वव्यापी स्थापना के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) में भी प्रस्तुत कर संयुक्त राष्ट्र संघ के पुर्नगठन व पूर्ण लोकतंत्र की प्राप्ति के लिए मार्ग दिखा सकता है।
3.राजनीतिक दल द्वारा – भारत का कोई एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल विश्व राजनीतिक पार्टी संघ (WPPO) का गठन कर प्रत्येक देश से एक राजनीतिक दल को संघ में साथ लेते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ पर स्थापना के लिए दबाव बना सकता है।
4.सयुंक्त राष्ट्र संघ (UNO) द्वारा – संयुक्त राष्ट्र संघ सीधे इस मानक श्रंृखला को स्थापना के लिए अपने सदस्य देशो के महासभा के समक्ष प्रस्तुत कर अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन व विश्व व्यापार संगठन के माध्यम से सभी देशो में स्थापित करने के लिए उसी प्रकार बाध्य कर सकता है, जिस प्रकार ISO-9000 व ISO-14000 श्रंृखला का विश्वव्यापी स्थापना हो रहा है।
5.अन्र्तराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) द्वारा – अन्र्तराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन सीधे इस श्रंृखला को स्थापित कर सभी देशो के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ व विश्व व्यापार संगठन के माध्यम से सभी दशो में स्थापित करने के लिए उसी प्रकार बाध्य कर सकता है, जिस प्रकार ISO-9000 या ISO-14000 श्रृंखला का विश्वव्यापी स्थापना हो रहा है।

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