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अमृत कुम्भ-2013, पृष्ठ – 41 से 48

AMRIT KUMBH - 2013
AMRIT KUMBH - 2013
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विश्वशास्त्र

विषय – सूची

अध्याय – एक

भाग – 1: ईश्वर, अवतार और पुनर्जन्म
1. ईश्वर और ईश्वर का संक्षिप्त इतिहास
2. अवतार और पुनर्जन्म
3. ईश्वर के अवतार
4. ब्रह्मा के अवतार
5. विष्णु के अवतार
6. शंकर के अवतार
भाग – 2: विष्णु के प्रथम नौ अवतार
अवतार चक्र मार्ग से
(पहले सभी अवतार और अब अन्त में मैं)
पहलायुगः सत्ययुग
अ. व्यक्तिगत प्रमाणित पूर्ण प्रत्यक्ष अवतार
1. प्रथम अवतार: मत्स्य अवतार
2. द्वितीय अवतार: कूर्म / कच्छपावतार
3. तृतीय अवतार: बाराह अवतार
4. चतुर्थ अवतार: नृसिंह अवतार
5. पंाचवाॅ अवतार: वामन अवतार
ब. सार्वजनिक प्रमाणित अंश प्रत्यक्ष अवतार
6. छठा अवतार: परशुराम अवतार
दूसरायुगः त्रेतायुग

स. सार्वजनिक प्रमाणित पूर्ण प्रत्यक्ष अवतार
7. सातवाँ अवतार: श्री राम अवतार – रामायण (मानक व्यक्ति चरित्र)
तीसरायुगः द्वापरयुग

द. व्यक्तिगत प्रमाणित पूर्ण प्रेरक अवतार
8. आठवाँ अवतार: श्री कृष्ण अवतार – महाभारत (मानक सामाजिक व्यक्ति चरित्र)
चैथायुगः कलियुग

य. सार्वजनिक प्रमाणित अंश प्रेरक अवतार
9. नौवाँ अवतार ः बुद्ध अवतार
भाग – 3: विष्णु के दसवें और अन्तिम अवतार के समय विश्व की स्थिति, उसके विकास की स्थिति एवं परिणाम
क: विश्व, भारत देश, अन्तर्राष्ट्रीय, राज्य अर्थात् शासन, भारतीय परिवार, भारतीय व्यक्ति स्तर पर निम्न विषयों की स्थिति
1. राज्य अर्थात शासन की स्थिति
2. विज्ञान की स्थिति
3. धर्म की स्थिति
4. व्यापार की स्थिति
5. समाज की स्थिति
6. परिवार केी स्थिति
7. व्यक्ति की स्थिति
ख: स्थिति के विकास की स्थिति
ग: विश्व, भारत देश, अन्तर्राष्ट्रीय, राज्य अर्थात् शासन, भारतीय परिवार, भारतीय व्यक्ति स्तर पर निम्न विषयों का परिणाम
01. राज्य अर्थात् शासन का परिणाम
02. विज्ञान का परिणाम
03. धर्म का परिणाम
04. व्यापार का परिणाम
05. समाज का परिणाम
06. परिवार का परिणाम
07. व्यक्ति का परिणाम
08. स्थिति के विकास का परिणाम
09़. विज्ञान का राज्य और धर्म पर प्रभाव
10. ब्रह्माण्डीय स्थिति और परिणाम
11. विश्व के समक्ष भारत की स्थिति और परिणाम
12. दृश्य पदार्थ विज्ञान और अदृश्य आध्यात्म विज्ञान-स्थिति एवं परिणाम
भाग – 4: विष्णु के दसवें और अन्तिम अवतार
पाँचवाँयुगः स्वर्णयुग/सत्ययुग
र. सार्वजनिक प्रमाणित पूर्ण प्रेरक अवतार
10. दसवाँ और अन्तिम कल्कि अवतार-लव कुश सिंह ”विश्वमानव“
– विश्वभारत (मानक वैश्विक व्यक्ति चरित्र)
पूर्व कथा –
भविष्य के लिए प्रक्षेपित कल्कि अवतार की कथा
वैष्णों देवी की कथा
उपरोक्त कथा द्वारा कल्कि अवतार एवं वैष्णों देवी का सम्बन्ध
काशी का परिचय
काशी विश्वनाथ मन्दिर
काशी नरेश और रामनगर
रामलीला और रामनगर
ज्योतिर्लिंग: अर्थ और द्वादस (12) ज्योतिर्लिंग
काशी (वाराणसी) में श्री कृष्ण
काशी (वाराणसी) में भगवान बुद्ध
काशी (वाराणसी) में स्वामी विवेकानन्द
काशी (वाराणसी) में लव कुश सिंह ”विश्वमानव“
वर्तमान कथा –
वर्तमान में व्यक्त कल्कि अवतार की कथा
कलयुग की देवी कल्कि देवी की कथा
कल्कि देवी का परिचय एवं रूप
सत्यकाशी: काशी (वाराणसी)-सोनभद्र-शिवद्वार-विन्ध्याचल के बीच का क्षेत्र का परिचय
1. काशी (वाराणसी)
2. सोनभद्र
3. शिवद्वार
4. विन्ध्य पर्वत, क्षेत्र और धाम: विन्ध्यक्षेत्र से तय होता है भारत का मानक समय
5. मीरजापुर और चुनार क्षेत्र (5वें अवतार- वामन अवतार का क्षेत्र)
भोगेश्वरनाथ: तेरहवाँ (13वाँ) और अन्तिम ज्योतिर्लिंग
सत्यकाशी में श्री कृष्ण
सत्यकाशी में भगवान बुद्ध
सत्यकाशी में स्वामी विवेकानन्द
सत्यकाशी में लव कुश सिंह ”विश्वमानव“
जरगो नदी और लव कुश सिंह ”विश्वमानव“
जरगो बाँध: एक दिव्य स्थल निर्माण क्षेत्र
धर्म स्थापनार्थ दुष्ट वध और साधुजन का कल्याण कैसे और किसका?
भाग – 5: जन्म, ज्ञान व कर्म परिचय (सारांश)
1. योगेश्वर श्री कृष्ण
2. स्वामी विवेकानन्द
3. भोगेश्वर श्री लव कुश सिंह ”विश्वमानव“
4. स्वामी विवेकानन्द की वाणीयाँ जो भोगेश्वर श्री लव कुश सिंह ”विश्वमानव“ के जीवन में सत्य है।
5. स्वामी विवेकानन्द और भोगेश्वर श्री लव कुश सिंह ”विश्वमानव“ के जीवन काल का घटना-चक्र

अध्याय – दो: जीवन परिचय

भाग – 1: मानव सभ्यता का विकास और जाति की उत्पत्ति
1. वंश
अ.ब्रह्म वंश
ब.सूर्य (विवस्वान) वंश
(क) कुश वंश
(ख) लव वंश
स.चन्द्र (ऐल) वंश
2. गोत्र
3. आदि पुरूष महर्षि कूर्म-कश्यप
अ. कूर्मवंशी क्षत्रिय के वंश
ब. कूर्मवंशी क्षत्रिय के कुछ कुल
स. कूर्मवंशी क्षत्रिय के कुछ उपाधियाँ
द. कूर्मवंशी क्षत्रिय रियासतें
य. कूर्मवंशी क्षत्रिय वंश के महान विभूतियाँ
भाग – 2: 1. पारिवारीक पृष्ठभूमि
2. जन्म
3. जन्म एवं निवास स्थल
4. जन्म कुण्डली
5. हथेली व पैर के तलवे का चित्र
भाग – 3: शिक्षा, भ्रमण व देशाटन
भाग – 4: मित्र व सहयोगी
भाग – 5: जीवन यात्रा कें कुछ रोचक चरित्र व घटनायें

अध्याय – तीन: ज्ञान परिचय

भाग -1: धर्म
भाग -2: पुराण रहस्य
1. महर्षि व्यास पौराणिक कथा लेखन कला
2. पुराणः धर्म, धर्मनिरपेक्ष एवम् यथार्थ अनुभव की अन्तिम सत्य दृष्टि
क. पुराणों की सत्य दृष्टि
ख. ब्रह्मा अर्थात् एकात्मज्ञान परिवार
ग. विष्णु अर्थात एकात्म ज्ञान सहित एकात्म कर्म परिवार
घ. शिव-शंकर अर्थात एकात्म ज्ञान और एकात्म कर्म सहित एकात्म ध्यान परिवार
च. ब्रह्माण्ड परिवार
3. ”गीता“ का अन्त तथा ”कर्मवेद“ के प्रारम्भ का आधार
4. कालभैरव कथा: कर्मवेद: प्रथम, अन्तिम तथा पंचमवेद शिव-शंकर अधिकृत है, ब्रह्मा अधिकृत नहीं
5. शिव और जीव
भाग -3: विश्व-नागरिक धर्म का धर्मयुक्त धर्मशास्त्र
कर्मवेद: प्रथम, अन्तिम तथा पंचम वेदीय श्रृंखला
भाग -4: विश्व-राज्य धर्म का धर्मनिरपेक्ष धर्मशास्त्र
विश्वमानक शून्य-मन की गुणवत्ता का विश्वमानक श्रृंखला
उप भाग-1: मानक एवं मानकीकरण संगठन परिचय
I. मानक एवं मानकीकरण संगठन
II. अन्तर्राष्ट्रीय माप-तौल ब्यूरो
III. अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO)
VI. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)
V. मानक के सम्बन्ध में विभिन्न वक्तव्य व्यक्ति भी हो सकते हैं आई. एस. ओ. मार्का
1. पं0 जवाहर लाल नेहरु
2. श्री मती इन्दिरा गाँधी
3. श्री राजीव गाँधी
4. डब्ल्यू0.टी.कैबेनो.
5. श्री कोफी अन्नान (नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित) पूर्व महासचिव, संयुक्त राष्ट्र संघ
पहले मानक के सम्बन्ध में विभिन्न वक्तव्य और अब अन्त में मेरा वक्तव्य और विश्वमानक
– लव कुश सिंह ”विश्वमानव“
उप भाग-2: गणराज्य व संघ परिचय
I. राज्य व गणराज्य: उत्पत्ति और अर्थ
II. भारत गणराज्य: संक्षिप्त शासकीय परिचय
III. संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) परिचय, उद्देश्य एवम् कार्यप्रणाली
1. वीटो पावर – संयुक्त राज्य अमेरिका (US)
2. वीटो पावर – फ्रांस
3. वीटो पावर – रूस
4. वीटो पावर – चीन
5. वीटो पावर – ब्रिटेन (UK)
VI. गणराज्य: अन्तिम विश्व शासन प्रणाली
V. ग्राम सरकार व विश्व सरकार: एक प्रारूप
उप भाग-3: मन की गुणवत्ता का विश्वमानक परिचय
I. आविष्कार विषय और उसकी उपयोगिता
II. विश्वकल्याणार्थ आविष्कार की स्थापना कब और कैसे?
III. वैश्विक मानव निर्माण तकनीकी- WCM-TLM-SHYAM.C प्रणाली
तकनीकी का नाम SHYAM.C क्यों?
S- SATYA ( सत्य )
H- HEART ( हृदय )
Y-YOGA ( योग )
A- ASHRAM ( आश्रम )
M- MEDITATION ( ध्यान )
.- DOT ( बिन्दु या डाॅट या दशमलव या पूर्णविराम )
C-CONCIOUSNESS ( चेतना )
VI. आदर्श वैश्विक मानव/जन/गण/लोक/स्व/मैं/आत्मा/तन्त्र का सत्य रूप
V- विश्व मानक-शून्य (WS-0) : मन की गुणवत्ता का विश्व मानक श्रृखंला
1. डब्ल्यू.एस.(WS-0) : विचार एवम् साहित्य का विश्वमानक
2. डब्ल्यू.एस. (WS-00) : विषय एवम् विशेषज्ञों की परिभाषा का विश्वमानक
3. डब्ल्यू.एस. (WS-000) : ब्रह्माण्ड (सूक्ष्म एवम् स्थूल) के प्रबन्ध और क्रियाकलाप का विश्वमानक
ईश्वर नाम
अदृश्य एवं दृश्य ईश्वर नाम
अदृश्य ईश्वर नाम-”ऊँ“ शब्द का दर्शन
दृश्य ईश्वर नाम- TRADE CENTRE शब्द का दर्शन
ट्रेड सेन्टर के सात चक्र
दृश्य सात चक्र के आधार पर संचालक के प्रकार
दृश्य योग और दृश्य ध्यान
1. शासन प्रणाली का विश्वमानक
2. संचालक का विश्वमानक
अवतारी (सत्य युक्त, संयुक्तमन) शासन बनाम मानवी (सत्यरहित संयुक्तमन) शासन प्रणाली
3. गणराज्य या लोकतन्त्र के स्वरूप का विश्वमानक
4. संविधान के स्वरूप का विश्वमानक
5. शिक्षा व शिक्षा पाठ्यक्रम के स्वरूप का विश्वमानक
4. डब्ल्यू.एस. (WS-0000) : मानव (सूक्ष्म तथा स्थूल) के प्रबन्ध और क्रियाकलाप का विश्वमानक
5. डब्ल्यू.एस. (WS-00000) : उपासना और उपासना स्थल का विश्वमानक
उप भाग-4: पत्रावली, शंखनाद एवं जनहित याचिका का प्रारूप
1. समय-समय पर वितरित मुद्रित सामग्री
2. समय-समय पर भेजे गये पत्र
3. समय-समय पर प्राप्त पत्र
4. शंखनाद
01. नागरिको को आह्वान, 02. विचारको को आह्वान, 03. शिक्षण क्षेत्र से जुड़े आचार्याे को आह्वान, 04. प्रबंध शिक्षा क्षेत्र को आह्वान, 05. शिक्षा पाठ्यक्रम निर्माता को आह्वान, 06. पत्रकारिता को आह्वान, 07. मानकीकरण संगठन और औद्योगिक जगत को आह्वान, 08. फिल्म निर्माण उद्योग को को आह्वान, 09. धर्म क्षेत्र को आह्वान, 10. राजनीतिक दलो को आह्वान, 11. सरकार / शासन को आह्वान, 12. संसद को आह्वान, 13. सर्वोच्च न्यायालय को आह्वान
5.जनहित याचिका का प्रारूप
1. पूर्ण शिक्षा का अधिकार, 2. राष्ट्रीय शास्त्र, 3. नागरिक मन निर्माण का मानक,4. सार्वजनिक प्रमाणित सत्य-सिद्धान्त, 5. गणराज्य का सत्य रूप
उप भाग-5: ईश्वर का मस्तिष्क, मानव का मस्तिष्क और कम्प्यूटर

भाग -5: विश्व शान्ति का अन्तिम मार्ग
1. एकात्मकर्मवाद और विश्व का भविष्य
2. विश्व का मूल मन्त्र- ”जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान-जय ज्ञान-जय कर्मज्ञान“
3. विश्वमानक-शून्य श्रंृखला (निर्माण का आध्यात्मिक न्यूट्रान बम)
4. भारत का संकट, हल, विश्वनेतृत्व की अहिंसक स्पष्ट दृश्य नीति, सर्वोच्च संकट और विवशता
5. गण्राज्य-संघ को मार्गदर्शन
I. गणराज्यों के संघ-भारत को सत्य और अन्तिम मार्गदर्शन
II. राष्ट्रो के संघ – संयुक्त राष्ट्र संघ को सत्य और अन्तिम मार्गदर्शन
III. अवतारी संविधान से मिलकर भारतीय संविधान बनायेगा विश्व सरकार का संविधान
VI. ”भारत“ के विश्वरूप का नाम है-”इण्डिया (INDIA)“
V. विश्व सरकार के लिए पुनः भारत द्वारा शून्य आधारित अन्तिम आविष्कार
– शून्य का प्रथम आविष्कार का परिचय
– शून्य आधारित अन्तिम आविष्कार का परिचय

अध्याय – चार: कर्म परिचय
(सार्वजनिक प्रमाणित दृश्य महायज्ञ)

1. विश्व शान्ति
2. विश्व धर्म संसद
1. विश्व धर्म संसद-सन् 1893 ई0 परिचय
स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान,
1. धर्म महासभा-स्वागत भाषण का उत्तर, दिनांक 11 सितम्बर, 1893
2. हमारे मतभेद का कारण, 15 सितम्बर, 1893
3. हिन्दू धर्म, 19 सितम्बर, 1893
4. धर्म भारत की प्रधान आवश्यकता नहीं, 20 सितम्बर, 1893
5. बौद्ध धर्म, 26 सितम्बर, 1893
6. धन्यवाद भाषण, 27 सितम्बर, 1893
2. विश्व धर्म संसद-सन् 1993 ई0 परिचय
3. विश्व धर्म संसद-सन् 1999 ई0 परिचय
4. विश्व धर्म संसद-सन् 2004 ई0 परिचय
5. विश्व धर्म संसद-सन् 2009 ई0 परिचय
3. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित सहस्त्राब्दि सम्मेलन-2000 ई0
1. राष्ट्राध्यक्षों का सम्मेलन
2. धार्मिक एवं आध्यात्मिक नेताओं का सम्मेलन
4. विश्व शान्ति के लिए गठित ट्रस्टों की स्पष्ट नीति
5. मेरे विश्व शान्ति के कार्य हेतू बनाये गये सभी ट्रस्ट मानवता के लिए सत्य-कार्य एवं दान के लिए सुयोग्य पात्र
भाग-1: साधु एवं सन्यासी के लिए-सत्ययोगानन्द मठ (ट्रस्ट)
भाग-2: राजनीतिक उत्थान व विश्ववन्धुत्व के लिए-प्राकृतिक सत्य मिशन (ट्रस्ट)
1. राष्ट्रीय रचनात्मक आन्दोलनःस्वायत्तशासी उपसमिति / संगठन
I. प्राकृतिक सत्य एवं धार्मिक शिक्षा प्रसार केन्द्र (CENTRE)
II. ट्रेड सेन्टर (TRADE CENTRE)
III. विश्व राजनीतिक पार्टी संघ (WPPO)
(क) परिचय, (ख) राष्ट्रीय क्रान्ति मोर्चा, (ग) राष्ट्रीय सहजीवन आन्दोलन
(घ) स्वराज-सुराज आन्दोलन, (च) विश्व एकीकरण आन्दोलन (सैद्धान्तिक)
2. प्राकृतिक सत्य मिशन के विश्वव्यापी स्थापना का स्पष्ट मार्ग
3. राम कृष्ण मिशन और प्राकृतिक सत्य मिशन
भाग-3: लव कुश सिंह के रचनात्मक कार्य संरक्षण के लिए-विश्वमानव फाउण्डेशन (ट्रस्ट)
भाग-4: प्रयोगात्मक ज्ञान पर शोध के लिए-सत्यकाशी ब्रह्माण्डीय एकात्म विज्ञान विश्वविद्यालय (ट्रस्ट)
भाग-5: ब्राह्मणों के लिए-सत्यकाशी (ट्रस्ट)

अध्याय-पाँच

सार्वजनिक प्रमाणित विश्वरूप

भाग – 1: चक्रान्त
01. पुर्नजन्म चक्र मार्ग से
पहले स्वामी विवेकानन्द और अब अन्त में मैं
02. अवतार चक्र मार्ग से
पहले सभी अवतार और अब अन्त में मैं
03. धर्म प्रवर्तक और उनका धर्म चक्र मार्ग से
धर्म ज्ञान का प्रारम्भ
01.वैदिक धर्म-ऋषि-मुनि गण-ईसापूर्व 6000-2500
सत्ययुग के धर्म
02.ब्राह्मण धर्म-ब्राह्मण गण-ईसापूर्व 6000-2500
त्रेतायुग के धर्म
03.वैदिक धर्म-श्रीराम-ईसापूर्व 6000-2500
द्वापरयुग के धर्म
04.वेदान्त अद्वैत धर्म-श्रीकृष्ण-ईसापूर्व 3000
कलियुग के धर्म
05.यहूदी धर्म, 06.पारसी धर्म-जरथ्रुष्ट-ईसापूर्व 1700, 07.बौद्ध धर्म-भगवान बुद्ध-ईसापूर्व 1567-487
08.कन्फ्यूसी धर्म-कन्फ्यूसियश-ईसापूर्व 551-479, 09.टोईज्म धर्म-लोओत्से-ईसापूर्व 604-518
10.जैन धर्म-भगवान महावीर-ईसापूर्व 539-467, 11.ईसाइ धर्म-ईसा मसीह-सन् 33 ई0
12.इस्लाम धर्म-मुहम्मद पैगम्बर-सन् 670 ई0, 13.सिक्ख धर्म-गुरु नानक-सन् 1510 ई0
स्वर्णयुग धर्म (धर्म ज्ञान का अन्त)
पहले विभिन्न धर्म प्रवर्तक और अब अन्त में मैं और मेरा विश्वधर्म
14.विश्व/सत्य/धर्मनिरपेक्ष धर्म-लव कुश सिंह”विश्वमानव“-सन् 2012 ई0
04. आचार्य और दर्शन चक्र मार्ग से
ब. आस्तिक ईश्वर कारण है अर्थात ईश्वर को मानना
अ. स्वतन्त्र आधार
1. कपिल मुनि – संाख्य दर्शन, 2. पतंजलि- योग दर्शन, 3. महर्षि गौतम- न्याय दर्शन
4. कणाद- वैशेषिक दर्शन
ब. वैदिक ग्रन्थों पर आधारित
अ. कर्मकाण्ड पर आधारित
1. जैमिनि- मीमांसा दर्शन
ब. ज्ञानकाण्ड अर्थात उपनिषद् पर आधारित
1. द्वैताद्वैत वेदंात दर्शन – श्रीमद् निम्बार्काचार्य, 2. अद्वैत वेदंात दर्शन – आदि शंकराचार्य
3. विशिष्टाद्वैत वेदंात दर्शन – श्रीमद् रामानुजाचार्य, 4. द्वैत वेदंात दर्शन – श्रीमद् माध्वाचार्य
5. शुद्धाद्वैत वेदंात दर्शन – श्रीमद् वल्लभाचार्य
ब. नास्तिक – ईश्वर कारण नहीं है अर्थात ईश्वर को न मानना
1. चार्वाक- चार्वाक दर्शन, 2. भगवान महावीर- जैन दर्शन, 3. भगवान बुद्ध- बौद्ध दर्शन
पहले विभिन्न आचार्य तथा उनके दर्शन और अब अन्त में मैं और मेरा कर्म वेदांत और विकास दर्शन
05. गुरू चक्र मार्ग से
1. श्री रामकृष्ण परमहंस एवं श्रीमाँ शारदा देवी, 2. महर्षि अरविन्द, 3. आचार्य रजनीश ”ओशो“
4. श्री सत्योगानन्द उर्फ भुईधराबाबा 5. श्री श्री रविशंकर
पहले विभिन्न गुरू और अब अन्त में मैं
06. संत चक्र मार्ग से
1. संत श्री रामानन्द, 2. गोरक्षनाथ, 3. धर्म सम्राट करपात्री जी
4. सांई बाबा शिरडी वाले, 5. अवधूत भगवान राम
पहले विभिन्न संत और अब अन्त में मैं
07. समाज और सम्प्रदाय चक्र मार्ग से
1. राजाराम मोहन राय-ब्रह्म समाज, 2. केशवचन्द्र सेन-प्रार्थना समाज
3. स्वामी दयानन्द-आर्य समाज, 4. श्रीमती एनीबेसेन्ट-थीयोसोफीकल सोसायटी
5. स्वामी विवेकानन्द-राम कृष्ण मिशन
पहले विभिन्न समाज सुधारक और अब अन्त में मेरा ईश्वरीय समाज
08. सत्य शास्त्र-साहित्य चक्र मार्ग से
1. श्री हरिवंश राय बच्चन – ”मधुशाला“, 2. स्वामी अड़गड़ानन्द – ”यथार्थ गीता“
3. श्री मनु शर्मा – ”कृष्ण की आत्मकथा“, 4. श्री बिल गेट्स – ”बिजनेस @ द स्पीड आॅफ थाॅट“
5. श्री स्टीफेन हाॅकिंग -”समय का संक्षिप्त इतिहास“
पहले विभिन्न सत्य शास्त्र-साहित्य और अब अन्त में मेरा विश्वशास्त्र
09. कृति चक्र मार्ग से
1. पं0 मदन मोहन मालवीय – ”काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (वाराणसी)“, 2. पं0 श्रीराम शर्मा आचार्य -”अखिल विश्व गायत्री परिवार (ऋृशिकेश)“, 3. नानाजी देशमुख -”दीनदयाल शोध संस्थान (चित्रकूट)“, 4. महर्षि महेश योगी -”महर्षि यूनिवर्सिटी आॅफ मैनेजमेन्ट“, 5. बाबा रामदेव -”पंतजलि योगपीठ (हरिद्वार)“
पहले विभिन्न कृति और अब अन्त में मेरी कृति- सत्यकाशी ब्रह्माण्डीय एकात्म विज्ञान विश्वविद्यालय
10. भूतपूर्व धार्मिक-राजनैतिक-सामाजिक नेतृत्वकर्ता चक्र मार्ग से
(भारत तथा विश्व के नेत्तृत्वकत्र्ताओं के चिंतन पर दिये गये वक्तव्य का स्पष्टीकरण)
01. महात्मा गाँधी, 02. पं0 जवाहर लाल नेहरु, 03. लाल बहादुर शास्त्री, 04. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन्, 05. सरदार वल्लभ भाई पटेल, 06. राम मनोहर लोहिया, 07. पं0 दीन दयाल उपाध्याय, 08. बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर, 09. लोकनायक जय प्रकाश नारायण, 10. श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, 11. श्री के.आर.नारायणन, 12. श्री शंकर दयाल शर्मा, 13. श्री आर.वेंकटरामन, 14. पोप जाॅन पाल, द्वितीय, 15. श्री चन्द्रशेखर, 16. श्री के. एस. सुदर्शन
पहले विभिन्न भूतपूर्व धार्मिक-राजनैतिक-सामाजिक नेतृत्वकर्ता और अब अन्त में मैं
11. वर्तमान धार्मिक-राजनैतिक-सामाजिक नेतृत्वकर्ता चक्र मार्ग से
(भारत तथा विश्व के नेत्तृत्वकत्र्ताओं के चिंतन पर दिये गये वक्तव्य का स्पष्टीकरण)
01. भारतीय संसद, 02. भारतीय सर्वोच्च न्यायालय, 03. विश्व शान्ति सम्मेलन, 04. स्वामी स्वरूपानन्द, 05. श्री रोमेश भण्डारी, 06. श्री अटल बिहारी वाजपेयी, 07. श्री मुरली मनोहर जोशी, 08. स्वामी शिवानन्द, 09. श्रीमती सोनिया गाँधी, 10. श्री केशरी नाथ त्रिपाठी, 11. दलाई लामा, 12. जयेन्द्र सरस्वती, 13. श्री अशोक सिंघल, 14. श्री परशुराम वी. सावंत, 15. श्री बिल क्लिन्टन, 16. श्री कौफी अन्नान, 17. श्री लाल कृष्ण आडवाणी, 18. श्री वी.एस.नाॅयपाल, 10. श्री मती शीला दीक्षित, 22. श्री ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, 21. श्री बराक ओबामा, 22. श्री बी.एल.जोशी, 23. श्री एस.एन.श्रीवास्तव, 24. श्री एच.आर.भारद्वाज, 25. श्री फर्दिनो इनासियो रिबेलो, 26. श्री गिरधर मालवीय, 27. डाॅ0 कर्ण सिंह, 28. श्री हामिद अंसारी, 29. श्रीमती प्रतिभा पाटिल, 30. श्री यदुनाथ सिंह, 31. बाबा रामदेव, 32. श्री अन्ना हजारे, 33. श्री सैम पित्रोदा, 34. श्री प्रणव मुखर्जी, 35. अमर उजाला फाउण्डेशन प्रस्तुति ”संवाद“
पहले विभिन्न वर्तमान धार्मिक-राजनैतिक-सामाजिक नेतृत्वकर्ता और अब अन्त में मैं
12. सत्यमित्रानन्द गिरी -”भारत माता मन्दिर (ऋृशिकेश)“
पहले भारतमाता मन्दिर और अब अन्त में उसमें मैं और मेरा धर्म के व्यवहारिक अनुभव का विश्वधर्म मन्दिर
13. पहले मैं और अब अन्त में मैं ही मैं
भाग – 2: वार्ता, वक्तव्य एवम् दिशाबोध
भाग – 3: सत्य-अर्थ एवम् मार्गदर्शन
भाग – 4: वाणीयाँ एवम् उद्गार
भाग – 5: मैं (व्यक्तिगत या सार्वभौम)
01. क्यों असम्भव था व्यक्ति, संत-महात्माओं-धर्माचार्यो, राजनेताओं और विद्वानो द्वारा यह अन्तिम कार्य ?
02. भोगेष्वर रुप (कर्मज्ञान का विश्वरुप): मैं एक हूँ परन्तु अनेक नामों से जाना जाता हूँ
03. एक ही मानव शरीर के जीवन, ज्ञान और कर्म के विभिन्न विषय क्षेत्र से मुख्य नाम (सर्वोच्च, अन्तिम और दृश्य)
04. एक ही ”विश्वशास्त्र“ साहित्य के विभिन्न नाम और उसकी व्याख्या
05. बसुधैव कुटुम्बकम्

परिशिष्ट – अ – स्वामी विवेकानन्द

1. धर्म-विज्ञान, 2. योग क्या है?, 3. ज्ञान योग, 4. राजयोग, 5. भक्ति योग, 6. प्रेम योग, 7. कर्मयोग

परिशिष्ट – ब – लव कुश सिंह ”विश्वमानव“

1. निर्माण के मार्ग
2. मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा
3. ईश्वर, अवतार और मानव की शक्ति सीमा
4. पाँचवें युग – स्वर्णयुग में प्रवेश का आमंत्रण
5. मैं-विश्वात्मा ने भारतीय संविधान की धारा-51 (ए): नागरिक का मौलिक कत्र्तव्य अनुसार अपना धर्म कत्र्तव्य निभाया

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